हनुमान जी ने कौन सा पहाड़ उठाया था ?

हनुमान जी, जिन्हें भगवान श्री राम के परम भक्त और रामायण के महान नायक के रूप में जाना जाता है, अपनी अद्भुत शक्ति, भक्ति और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। रामायण में उनकी एक ऐसी घटना का वर्णन है, जो उनकी अपार शक्ति और श्री राम के प्रति अटूट भक्ति का प्रतीक है—यह है हनुमान जी ने कौन सा पहाड़ उठाया था की कहानी।
इस लेख में हम इस घटना का विस्तार से वर्णन करेंगे, जिसमें हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाने के लिए कौन सा पहाड़ उठाया, इसका महत्व क्या था, और यह आज भी हमारे लिए क्यों प्रासंगिक है। यह लेख हनुमान जी ने कौन सा पहाड़ उठाया था”
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हनुमान जी ने कौन सा पहाड़ उठाया था ? Hanuman ji Ne Kaun sa parvat uthaya tha
हनुमान जी ने द्रोणगिरी पर्वत (कभी-कभी इसे द्रोण पर्वत या गंधमादन पर्वत भी कहा जाता है) को उठाया था। यह घटना रामायण के युद्ध कांड में वर्णित है, जब हनुमान जी को माता सीता की खोज के बाद लंका में चल रहे राम-रावण युद्ध के दौरान संजीवनी बूटी लाने का कार्य सौंपा गया। यह पहाड़ हिमालय क्षेत्र में स्थित था, जहां संजीवनी बूटी पाई जाती थी, जो लक्ष्मण जी को जीवनदान देने में सक्षम थी।
घटना की पृष्ठभूमि –

रामायण के युद्ध कांड में, जब श्री राम और रावण की सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था, रावण का पुत्र मेघनाद (जिसे इंद्रजीत भी कहा जाता है) ने लक्ष्मण जी पर शक्ति बाण चलाया। इस बाण के प्रभाव से लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए और उनकी स्थिति गंभीर हो गई। वैद्य सुषेण ने बताया कि केवल संजीवनी बूटी ही लक्ष्मण जी की जान बचा सकती है, जो हिमालय के द्रोणगिरी पर्वत पर पाई जाती है।
इस कार्य के लिए श्री राम ने हनुमान जी को चुना, क्योंकि उनकी गति, शक्ति और बुद्धिमत्ता इस असंभव कार्य को संभव बना सकती थी। हनुमान जी तुरंत हिमालय की ओर उड़ चले, लेकिन समय की कमी और युद्ध की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने संजीवनी बूटी की खोज में कोई देरी नहीं की।
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द्रोणगिरी पर्वत को उठाने की कहानी –
जब हनुमान जी हिमालय के द्रोणगिरी पर्वत पर पहुंचे, तो उन्हें संजीवनी बूटी की पहचान करने में कठिनाई हुई। संजीवनी बूटी एक दुर्लभ औषधि थी, और समय बहुत कम था। हनुमान जी ने अपनी बुद्धिमत्ता और शक्ति का उपयोग करते हुए एक अनोखा निर्णय लिया—उन्होंने पूरे द्रोणगिरी पर्वत को ही उठा लिया और उसे लेकर लंका की ओर उड़ चले।
वाल्मीकि रामायण में इस घटना का वर्णन इस प्रकार है:
हनुमान जी, जो पवनपुत्र के नाम से जाने जाते हैं, ने अपनी अपार शक्ति का प्रदर्शन करते हुए विशाल पर्वत को अपने हाथों में उठाया और आकाश मार्ग से लंका की ओर प्रस्थान किया।
हनुमान जी की यह उपलब्धि न केवल उनकी शारीरिक शक्ति को दर्शाती है, बल्कि श्री राम और लक्ष्मण के प्रति उनकी अटूट भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा को भी उजागर करती है।
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संजीवनी बूटी और लक्ष्मण का पुनर्जनन-
हनुमान जी जब द्रोणगिरी पर्वत को लेकर लंका पहुंचे, तो वैद्य सुषेण ने उसमें से संजीवनी बूटी निकाली और लक्ष्मण जी का उपचार किया। संजीवनी बूटी के प्रभाव से लक्ष्मण जी तुरंत स्वस्थ हो गए, और युद्ध में पुनः शामिल हुए। इस घटना ने न केवल युद्ध का रुख मोड़ दिया, बल्कि हनुमान जी की भक्ति को अमर कर दिया।
हनुमान जी ने इसके बाद द्रोणगिरी पर्वत को वापस हिमालय में उसके मूल स्थान पर रख दिया, जिससे उनकी जिम्मेदारी और प्रकृति के प्रति सम्मान का भी पता चलता है।
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इस घटना का महत्व-
हनुमान जी द्वारा द्रोणगिरी पर्वत उठाने की घटना रामायण की सबसे प्रेरणादायक घटनाओं में से एक है। यह निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
- हनुमान जी की भक्ति: यह घटना श्री राम के प्रति हनुमान जी की अटूट भक्ति को दर्शाती है। उन्होंने समय की कमी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद असंभव कार्य को संभव बनाया।
- शक्ति और बुद्धिमत्ता का संगम: हनुमान जी ने न केवल अपनी शारीरिक शक्ति का प्रदर्शन किया, बल्कि अपनी बुद्धिमत्ता से यह निर्णय लिया कि पूरे पर्वत को उठाना समय की बचत करेगा।
- संकटमोचन की उपाधि: इस घटना के बाद हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से जाना जाने लगा, क्योंकि उन्होंने लक्ष्मण जी के जीवन को बचाकर श्री राम के संकट को दूर किया।
- प्रेरणा का स्रोत: यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति, दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
हनुमान चालीसा में इस घटना का उल्लेख-
तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में इस घटना का सीधा उल्लेख तो नहीं है, लेकिन हनुमान जी की शक्ति और भक्ति का वर्णन इस प्रकार किया गया है:
“संकट मोचन हनुमान की जय,
लाय सिया सुधि प्राण उबारे।”
यह पंक्ति हनुमान जी की संकटमोचन शक्ति और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों, जैसे संजीवनी बूटी लाना, को दर्शाती है।
आज के समय में इस घटना की प्रासंगिकता-
हनुमान जी द्वारा द्रोणगिरी पर्वत उठाने की कहानी आज भी हमारे लिए कई प्रेरणाएं देती है:
- संकल्प और मेहनत: हनुमान जी ने असंभव कार्य को संभव बनाया, जो हमें सिखाता है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
- समर्पण और भक्ति: हनुमान जी का श्री राम के प्रति समर्पण हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ हम अपने जीवन के संकटों को दूर कर सकते हैं।
- समय प्रबंधन: हनुमान जी ने समय की कमी को देखते हुए पूरे पर्वत को उठाने का निर्णय लिया, जो हमें समय के महत्व और त्वरित निर्णय लेने की कला सिखाता है।
- पर्यावरण के प्रति सम्मान: हनुमान जी ने पर्वत को वापस उसके स्थान पर रखा, जो प्रकृति के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाता है।
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हनुमान जी की शक्ति का रहस्य –
हनुमान जी की शक्ति का रहस्य उनकी भक्ति, आत्मविश्वास और श्री राम के प्रति अटूट विश्वास में निहित है। रामायण में यह बताया गया है कि हनुमान जी को बचपन में कई देवताओं से वरदान प्राप्त थे, जिनमें पवन देव, सूर्य देव और अन्य शामिल थे। लेकिन उनकी सबसे बड़ी शक्ति थी उनकी भक्ति, जो उन्हें हर असंभव कार्य को संभव बनाने की प्रेरणा देती थी।
निष्कर्ष
हनुमान जी ने द्रोणगिरी पर्वत को उठाकर न केवल लक्ष्मण जी की जान बचाई, बल्कि श्री राम के प्रति अपनी भक्ति और शक्ति का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। यह घटना रामायण की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक है, जो हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति, मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी कार्य असंभव नहीं है। हनुमान जी का यह कार्य आज भी लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें यह विश्वास दिलाता है कि संकट के समय में सही दिशा और समर्पण के साथ हर बाधा को पार किया जा सकता है।
हनुमान जी ने कौन सा पहाड़ उठाया था—यह प्रश्न न केवल रामायण की कहानी को जीवंत करता है, बल्कि हमें हनुमान जी की भक्ति और शक्ति की महानता को समझने का अवसर भी देता है। जय श्री राम! जय हनुमान!