हनुमान जी के असली पिता कौन थे? – विस्तृत जानकारी
हनुमान जी हिंदू धर्म में शक्ति, भक्ति और साहस के प्रतिक माने जाते हैं। उन्हें भगवान शिव का रुद्रावतार भी कहा जाता है, परंतु उनका जन्म कैसे हुआ और उनके असली पिता कौन थे – यह प्रश्न अक्सर लोग पूछते हैं। धार्मिक ग्रंथों में हनुमान जी के जन्म और पितृत्व से संबंधित कई रोचक कथाएँ मिलती हैं।
मान्यता के अनुसार हनुमान जी माता अंजना और पवन देव के पुत्र हैं। इसी कारण उन्हें पवनपुत्र हनुमान कहा जाता है। लेकिन उनकी जन्म कथा के पीछे एक और दिव्य रहस्य है, जिसमें भगवान शिव की महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है।

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हनुमान जी के असली पिता: पवन देव
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी के वास्तविक पिता पवन देव (वायु देव) माने जाते हैं। जब माता अंजना तपस्या कर रही थीं, तब शिवजी की कृपा से दिव्य शक्ति अंजना जी के गर्भ में पहुंची, और इस कार्य में पवन देव माध्यम बने। इसी वजह से वायु देव को उनका जनक माना गया है।
क्यों कहा जाता है पवनपुत्र?
- हनुमान जी के जन्म में पवन देव की सीधी भूमिका
- वायु समान तेज, शक्ति और गति का आशीर्वाद
- संकट में हमेशा हनुमान जी के साथ रहने का वरदान
इसलिए हनुमान जी को पवनपुत्र, वातसुत, मरुतिनंदन जैसे नामों से भी पुकारा जाता है।
भगवान शिव के रुद्रावतार –
पौराणिक मान्यता यह भी है कि हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं। भगवान राम की सेवा के लिए शिवजी ने स्वयं हनुमान रूप में अवतार लिया।
इसलिए हनुमान जी के जन्म को:
- दैवीय जन्म
- शिव शक्ति का अवतार
- वायु देव द्वारा समर्थित
माना जाता है।
यही कारण है कि हनुमान जी विशेष रूप से शिव और राम, दोनों के प्रिय हैं।
अंजना माता का योगदान–
हनुमान जी की माता अंजना अप्सरा थीं, जिन्होंने जन्म के लिए कठोर तप किया। उनके तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने वरदान दिया और पवन देव ने उसे पूरा किया। इसलिए:
- जन्मदाता – पवन देव
- अवतार रूप – भगवान शिव
- पालन-पोषण – अंजना माता एवं केसरी
इन सभी के कारण हनुमान जी का अस्तित्व दिव्यता से भरा हुआ है।
निष्कर्ष
हनुमान जी के असली पिता कौन थे, इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर है — पवन देव, इसलिए उन्हें पवनपुत्र कहा जाता है। हनुमान जी का जन्म केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि दैवीय शक्तियों से हुआ था। भगवान शिव का रुद्रावतार होने के कारण उन्हें अपार बल, असीम वेग और अटूट भक्ति प्राप्त हुई। इस तरह हनुमान जी तीन महत्वपूर्ण संबंधों से जुड़े हैं: अवतार रूप: भगवान शिव जन्मदाता: पवन देव माता: अंजना इसी दिव्य जन्म कथा के कारण हनुमान जी आज भी भक्तों के संकटों का नाश करने वाले, शक्ति और समर्पण के सर्वोच्च प्रतीक माने जाते हैं।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हनुमान जी के सच्चे पिता कौन थे?
हनुमान जी के सच्चे पिता पवन देव (वायु देव) थे।
हनुमान जी को शिव का अवतार क्यों कहा जाता है?
क्योंकि यह माना जाता है कि वे भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं, जो रामभक्ति के लिए जन्मे।
हनुमान जी को पवनपुत्र नाम किसने दिया?
उनके जन्म में पवन देव की भूमिका के कारण शास्त्रों और भक्तों ने उन्हें पवनपुत्र नाम दिया।
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