Hanuman Ji Ki Aarti || हनुमान जी की आरती
हनुमान जी हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें भगवान राम के परम भक्त और बल, बुद्धि तथा भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती गाना भक्तों के लिए एक विशेष अनुष्ठान है, जो उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और रक्षा की भावना लाता है। “हनुमान जी की आरती, Hanuman Ji Ki Aarti” एक लोकप्रिय भजन है
जो मंदिरों, घरों और त्योहारों के दौरान गाया जाता है। यह आरती न केवल हनुमान जी की महिमा का गुणगान करती है बल्कि भक्तों को उनके गुणों से प्रेरित करती है। इस आरती के बोल सरल और भावपूर्ण हैं, जो हर आयु वर्ग के लोगों को आकर्षित करते हैं।

इस लेख में हम “हनुमान जी की आरती” के बोल, अर्थ, महत्व और इसे कैसे गाएं, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यदि आप हनुमान जी के भक्त हैं या उनकी पूजा में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। हम यहां आरती के इतिहास, लाभ और विभिन्न रूपों पर भी प्रकाश डालेंगे,
ताकि आपकी भक्ति और गहराई से जुड़ सके। “हनुमान जी की आरती Hanuman Ji Ki Aarti , Bajrang bali ki aarti” को नियमित रूप से गाने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और मन में शांति स्थापित होती है। अब आइए, इस विषय पर गहराई से जानते हैं।
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हनुमान जी की आरती का इतिहास – Hanuman Ji Ki Aarti History
हनुमान जी की आरती का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। रामायण में हनुमान जी को भगवान राम का सबसे वफादार सेवक बताया गया है। उनकी भक्ति की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। आरती की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है, जहां देवताओं की पूजा में दीपक जलाकर गीत गाए जाते थे। “हनुमान जी की आरती” विशेष रूप से 16वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के दौरान लोकप्रिय हुई, जब तुलसीदास जी जैसे संतों ने राम भक्ति को जन-जन तक पहुंचाया।
तुलसीदास जी द्वारा रचित “हनुमान चालीसा” के साथ-साथ आरती भी हनुमान पूजा का अभिन्न अंग बन गई। यह आरती विभिन्न क्षेत्रों में थोड़े बदलाव के साथ गाई जाती है, लेकिन मूल भाव एक ही रहता है – हनुमान जी की महिमा का वर्णन। उत्तर भारत में यह आरती मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से गाई जाती है, क्योंकि ये दिन हनुमान जी को समर्पित माने जाते हैं। इतिहासकारों के अनुसार, मुगल काल में भी हनुमान मंदिरों में आरती की परंपरा जारी रही, जो हिंदू संस्कृति की मजबूती को दर्शाती है।
हनुमान जी की आरती (bajrang bali ki aarti) न केवल धार्मिक है बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। विभिन्न त्योहारों जैसे हनुमान जयंती, राम नवमी और दीपावली पर इस आरती को गाया जाता है। यह आरती भक्तों को एकजुट करती है और सामूहिक पूजा का माध्यम बनती है। यदि आप “हनुमान जी की आरती” के इतिहास को गहराई से समझें, तो पता चलता है कि यह सदियों से चली आ रही भक्ति की धारा है, जो आज भी जीवंत है।
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हनुमान जी की आरती के बोल || Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics
“हनुमान जी की आरती” के बोल बहुत ही सरल और मधुर हैं। इसे गाते समय भक्तों के मन में हनुमान जी की छवि उभरती है। यहां हम पूर्ण बोल प्रस्तुत कर रहे हैं:
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥अंजन पुत्र महाबल दायी।
संतन के प्रभु सदा सहायी॥दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुध लाए॥लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज संवारे॥लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन नागाय तारे॥सुर नर मुनि जन आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥जो हनुमान जी की आरती गावे।
बसि बैकुंठ परम पद पावे॥
यह आरती हनुमान जी की शक्ति, भक्ति और सेवाभाव को दर्शाती है। प्रत्येक पंक्ति में उनके वीर कार्यों का उल्लेख है, जैसे लंका दहन और संजीवनी बूटी लाना। “हनुमान जी की आरती” को गाते समय दीपक या अगरबत्ती जलाकर पूजा की जाती है।
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हनुमान जी की आरती का अर्थ – Bajrang bali ki aarti
“हनुमान जी की आरती” के बोलों का अर्थ बहुत गहरा है। पहली पंक्ति “आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की” का अर्थ है कि हम हनुमान जी की आरती करें, जो दुष्टों का नाश करने वाले और भगवान राम की कला के प्रतीक हैं। यह दर्शाता है कि हनुमान जी राम के सेवक हैं और बुराई का अंत करते हैं।
दूसरी पंक्ति में उनके बल का वर्णन है, जहां पहाड़ भी उनके बल से कांपते हैं और कोई रोग या दोष उनके निकट नहीं आता। यह भक्तों को आश्वासन देता है कि हनुमान जी की पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। “अंजन पुत्र महाबल दायी” में उन्हें अंजना माता का पुत्र और महान बल देने वाला बताया गया है।
आरती में लंका दहन, संजीवनी बूटी लाने जैसे प्रसंगों का उल्लेख है, जो रामायण की घटनाओं से जुड़े हैं। अंत में कहा गया है कि जो इस आरती को गाता है, वह बैकुंठ धाम प्राप्त करता है। “हनुमान जी की आरती” का अर्थ समझने से भक्ति और बढ़ती है, क्योंकि यह न केवल शब्द हैं बल्कि जीवन दर्शन हैं।
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हनुमान जी की आरती कैसे गाएं
Bajrang bali ki aarti गाना बहुत सरल है। सबसे पहले एक स्वच्छ स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मंगलवार या शनिवार को सुबह या शाम का समय चुनें। पूजा सामग्री जैसे अगरबत्ती, दीपक, फूल, फल और नैवेद्य तैयार रखें।
आरती शुरू करने से पहले हनुमान चालीसा पढ़ें, फिर आरती गाएं। घंटी बजाते हुए बोल उच्चारण करें। यदि संभव हो तो परिवार के साथ सामूहिक रूप से गाएं। ऑनलाइन कई ऑडियो और वीडियो उपलब्ध हैं, जहां आप सीख सकते हैं। “हनुमान जी की आरती” को धीमी गति से गाने से मन शांत होता है। पूजा समाप्ति पर प्रसाद वितरित करें।
यदि आप नौसिखिया हैं, तो पहले बोल याद करें और अर्थ समझें। नियमित अभ्यास से यह आसान हो जाता है। ध्यान रखें, भक्ति भाव से गाना महत्वपूर्ण है, न कि सिर्फ रस्म।
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हनुमान जी की आरती गाने के लाभ
“हनुमान जी की आरती” गाने के अनेक लाभ हैं। सबसे पहले, यह मन को शांति प्रदान करती है और तनाव दूर करती है। हनुमान जी को बल का देवता माना जाता है, इसलिए इस आरती से शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह आरती बुराई से रक्षा करती है और जीवन में सफलता दिलाती है। विद्यार्थियों के लिए यह एकाग्रता बढ़ाती है, जबकि व्यापारियों को व्यापार में वृद्धि मिलती है। स्वास्थ्य समस्याओं में भी यह सहायक है, क्योंकि संजीवनी का प्रसंग इसमें है।
वैज्ञानिक दृष्टि से, आरती गाना एक प्रकार का ध्यान है, जो एंडोर्फिन्स रिलीज करता है और खुशी बढ़ाता है। “हनुमान जी की आरती” को रोज गाने से आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। कई भक्तों की कहानियां हैं जहां इस आरती ने चमत्कार किए हैं।
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हनुमान जी की आरती के विभिन्न रूप और लोकप्रिय संस्करण
“हनुमान जी की आरती” के कई रूप हैं। उत्तर भारत में पारंपरिक संस्करण लोकप्रिय है, जबकि दक्षिण भारत में थोड़े बदलाव के साथ गाया जाता है। कुछ संस्करणों में अतिरिक्त छंद जोड़े जाते हैं।
लोकप्रिय गायकों जैसे गुलशन कुमार, हरिहरन और अनूप जलोटा ने इस आरती को रिकॉर्ड किया है, जो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। आधुनिक समय में रीमिक्स संस्करण भी हैं, जो युवाओं को आकर्षित करते हैं। लेकिन मूल संस्करण की शक्ति अद्वितीय है।
हनुमान जयंती पर विशेष आरती आयोजित की जाती है, जहां हजारों भक्त एक साथ गाते हैं। यदि आप विभिन्न संस्करण सुनना चाहें, तो “हनुमान जी की आरती हिंदी में” सर्च करें।
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हनुमान जी की आरती में छिपे जीवन सबक
हनुमान जी की आरती न केवल पूजा है बल्कि जीवन सबक भी सिखाती है। इसमें वर्णित गुण जैसे वफादारी, बल और सेवा भाव आज के जीवन में प्रासंगिक हैं। हनुमान जी की तरह बाधाओं को पार करना सिखाती है।
यह आरती हमें सिखाती है कि भक्ति से असंभव संभव हो जाता है। “हनुमान जी की आरती” गाकर हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं।
Conclusion :-
अंत में, “हनुमान जी की आरती, Hanuman ji ki arti ” भक्ति का एक सुंदर माध्यम है जो हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से गाएं और जीवन में बदलाव महसूस करें। यदि आप और अधिक जानना चाहें, तो हनुमान मंदिरों में जाकर अनुभव करें। जय सियाराम, जय हनुमान!