Shiv Chalisa Lyrics In Hindi – ( हिंदी में शिव चालीसा )
Shiv Chalisa Lyrics in Hindi – Recitation of Shiv Chalisa is considered to be a very effective way to please Bholenath Shiva. According to belief, the recitation of Shiv Chalisa is said to give miraculous benefits to the devotees. Reciting Shivpuran in the month of Sawan has been said to be very fruitful in the scriptures. But those who are not able to recite Shiv Purana in Sawan, they can become a part of great virtue by reciting Shiv Chalisa.
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Shiv Chalisa Lyrics In Hindi – ( हिंदी मै शिव चालीसा )
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shiv chalisa lyrics in hindi with meaning
꧁༒☬ दोहा☬༒꧂
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
अर्थ- शिव चालीसा के रचयिता श्री अयोध्यादास जी रचना प्रारम्भ करने से पूर्व गणेश जी की वंदना करते हुए लिखते हैं कि जो समस्त मंगल कार्याें के ज्ञाता हैं उन गौरीपुत्र गणेश जी की जय हो! हे गणेश जी! इस कार्य को निर्विघ्न समाप्त करने का वरदान देें।
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꧁༒☬ चौपाई☬༒꧂
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
अर्थ- जो दीन-जनों पर कृपा करने वाले हैं और संत-जनों की सदा ही रक्षा करते हैं ऐसे पार्वती (गिरिजा) के पति शंकर भगवान की जय हो।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अर्थ- आपके मस्तक पर चन्द्रमा शोभित हैं और कानों में नागफनी के कुण्डल सुशोभित हैं।
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥
अर्थ- आपका रंग गौर वर्ण का है और सिर की जटाओं में से गंगाजी बह रही हैं, गले में मुण्डों की माला है और शरीर पर भस्मी लगा रखी है।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
अर्थ- शरीर पर शेर की खाल वस्त्रों का का देती है, उनकी यह वेषभूषा देखकर सब नर-नारी श्रद्धा से शीश झुकाते हैं।
मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
अर्थ- मैना की दुलारी अर्थात् उनकी पुत्री पार्वतीजी उनके बायें भाग में सुशोभित हो रही हैं।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अर्थ- आपके हाथ में त्रिशूल शोभायमान हो रहा है। आप अपने इस प्रलयंकारी त्रिशूल से सदैव दुष्टों और शत्रुओं का संहार करते हैं।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
अर्थ- भगवान शंकर के समीप नंदी व गणेश जी ऐसे सुंदर लगते हैं, जैसे सागर के मध्य कमल शोभायमान होता है।
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
अर्थ- श्याम वर्ण कार्तिकेय तथा गौर वर्ण श्री गणेशजी की छवि का बखान करना किसी के लिए भी सम्भव नहीं है।
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
अर्थ- देवताओं ने जब भी सहायता की पुकार की हे नाथ! आपने तुरंत ही उनके दुख दूर किए।
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
अर्थ- जब ताड़कासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर तरह-तरह के उपद्रव (अत्याचार) करना प्रारम्भ किया तो सभी देवतागण उससे छुटकारा पाने के लिए आपकी शरण में दौड़े चले आए।
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
अर्थ- देवताओें की प्रार्थना को मानते हुए आपने उसी समय स्वामी कार्तिकेय को भेजा और उन्होंने जाकर शिवजी की दी हुयी शक्ति से उस पापी राक्षस को मार डाला।
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अर्थ- आपने जलंधर नामक भयंकर राक्षस का संहार किया उससे आपका जो यश फैला, उससे सारा संसार परिचित है।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अर्थ- आपने त्रिपुर नामक भयंकर राक्षस से युद्ध करके सभी देवताओं पर कृपा की और उनको बचा लिया।
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
अर्थ- जब भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए महान तप किया तब आपने ही अपनी जटाओं से गंगा की धारा को छोड़कर उनकी प्रतिज्ञा पूरी की थी।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
अर्थ- संसार के सभी दानियों में आपके समान बड़ा कोई दानी नहीं है। भक्त आपकी सदा ही वन्दना करते रहते हैं।
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
अर्थ- आपके अनादि (प्राचीन) होने का भेद कोई बता नहीं सका। वेदों में भी आपके नाम की महिमा गाई गई है।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला॥
अर्थ- जब समुद्र का मंथन हो रहा था तब उसमें से अमृत के साथ विष की ज्वाला भी निकली। उस विष रूपी ज्वाला की लपट से देवतागण और दानव दोनों जलने लगे तथा जलन से व्याकुल हो उठे।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
अर्थ- उस संकट की घड़ी में केवल आप ही उनकी सहायता के लिए पहहुंचे और सारा विष पीकर उनकी जान बचाई। इसी विष को पीने से आपका सारा शरीर नीला हो गया जिसके कारण आपको “नीलकंठ“ कहा जाने लगा।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
अर्थ- लंका पर चढ़ाई के समय रामेश्वरम में जब श्रीरामचन्द्र जी ने आपकी पूजा की तो आपकी कृपा से ही उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की और विभीषण को लंका का राजा बना दिया।
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
अर्थ- जब श्रीरामचन्द्रजी सहस्त्र कमलों के द्वारा आपकी पूजा कर रहे थे तो हे भोलेनाथ! अपनी माया के प्रभाव से उनकी परीक्षा ली।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
अर्थ- आपने एक कमल का फूल अपनी माया से लुप्त कर लिया तो उनहोंने कमल के फूल के स्थान पर अपने नयन रूपी पुष्प से पूजन करना चाहा।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
अर्थ- जब आपने राघवेन्द्र की इस प्रकार की कठोर भक्ति देखी तो प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित वर प्रदान किया।
जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
अर्थ- जो अनन्त हैं और जो अविनाशी हैं, ऐसे भगवान शंकर की जय हो, जय हो, जय जय हो। सबके हृदय में निवास करनेवाले आप सब पर कृपा करते हैं।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
अर्थ- दुष्ट विचार सैदव मुझे सताते रहते हैं, जिससे मेरा मन हमेशा भ्रमित रहता है और मुझे क्षणमात्र भी चैन नहीं मिलता।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
अर्थ- हे भोलेनाथ! बस मैं इन चीजों से ही तंग होकर आपकी शरण में आया हूं। इस संकट के समय आप ही मेरा उद्धार कर सकते हैं।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥
अर्थ- अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं को नष्ट करें और संकट से मेरा उद्धार करें।
मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
अर्थ- माता-पिता और भाई इत्यादि सम्बन्धी सब सुख में ही साथी होते हैं। संकट आने पर कोई पूछता भी नहीं है।
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी॥
अर्थ- हे जगत के स्वामी! आप ही ऐसे हैं जिस पर मुझे आशा लगी हुई है। आप शीघ्र ही आकर मेरे इस घोर संकट को दूर कीजिए।
धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अर्थ- आप हमेशा गरीब व निर्धन व्यक्तियों को धन देकर उनकी सहायता करते हैं। जो कोई आपकी जैसी भक्ति करता है वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
अर्थ- हे नाथ! मैं किस प्रकार आपकी पूजा अर्चना करूं, यह मुझे नहीं मालूम है, अतः अगर आपके पूजन अर्चन में कोई भूल हो तो आप हमें माफ कर दीजिएगा।
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
अर्थ- शिव शंकर भोलेनाथ! आप ही संकटों से मुक्त करवाने वाले हैं सारे शुभ काम आपका नाम लेने से पूरे हो जाते हैं।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं॥
अर्थ- योगीजन, यति व मुनिजन सदा आपका ही ध्यान करते हैं। नारद और सरस्वती भी आपको ही शीश नवाते हैं।
नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
अर्थ- आपके स्मरण का मूल मन्त्र “ऊं नमः शिवाय“ है। इस मन्त्र का जप करके भी ब्रह्मा आदि देवता आपका पार नहीं पा सके।
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई॥
अर्थ- जो व्यक्ति इस शिव चालीसा का मन लगाकर निष्ठा से पाठ करता है भगवान शंकर अवश्य ही उसकी सहायता करते हैं।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
अर्थ- जो कोई भी प्राणी कर्ज के बोझ से दबा हुआ हो, वह अगर सच्चे मन से आपके नाम का जाप करे तो शीघ्र ही वह ऋण के बोझ से मुक्त हो जाता है।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
अर्थ- पुत्रहीन व्यक्ति यदि पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से इसका पाठ करेगा तो निश्चय ही शिव की कृपा से उसे पुत्र प्राप्त होगा।
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
अर्थ- प्रत्येक मास की त्रयोदशी को घर पर पण्डित को बुलाकर श्रद्धापूर्वक पूजन व हवन करवाना चाहिए।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
अर्थ- जो प्रत्येक त्रयोदशी को आपका व्रत रखता है, उसके शरीर में कोई रोग नहीं रहता और किसी प्रकार के क्लेश की भावना भी उसके मन में नहीं आती।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
अर्थ- धूप, दीप और नैवेद्य से पूजन करके शंकरजी की मूर्ति के सामने बैठकर यह पाठ करना चाहिए।
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे॥
अर्थ- शिव चालीसा का पाठ करके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में मनुष्य शिवजी के पास वास करने लगता है अर्थात मुक्त हो जाता है।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अर्थ- अयोध्या दास जी कहते हैं कि हे शंकरजी! हमें आपकी ही आशा है। मेरे समस्त दुःखों को दूर कर आप हमारी मनोकामना पूर्ण करें।
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꧁༒☬ दोहा ☬༒꧂
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अर्थ- प्रातःकाल के नित्यकर्म के पश्चात् शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का चालीस बार प्रतिदिन पाठ करने से भगवान शिव मनोकामना पूर्ण करेंगे। हेमंत ऋतु, मार्गशीर्ष मास की छठी तिथि संवत चौंसठ में यह चालीसा रूपी शिवस्तुति लोककल्याण के लिए पूर्ण हुई।
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Shiv Chalisa In Hindi PDF – ( शिव चालीसा हिंदी पीडीएफ में )
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Shiv Chalisa In English –
If you want to read Shiv Chalisa in English language then given below article you will get to read Shiv Chalisa Lyrics in English –
shiv chalisa in English
꧁༒☬ Doha ☬༒꧂
Jai Ganesh Girija Suvan Mangal Mul Sujan।
Kahat Ayodhya Das Tum Dev Abhaya Varadan ॥
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꧁༒☬ Chaupai ☬༒꧂
Jai Girija Pati Dinadayala।
Sada Karat Santan Pratipala ॥
Bhala Chandrama Sohat Nike Kanan।
Kundal Nagaphani Ke ॥
Anga Gaur Shira Ganga Bahaye।
Mundamala Tan Chhara Lagaye ॥
Vastra Khala Baghambar Sohain Chhavi।
Ko Dekha Naga Muni Mohain ॥
Maina Matu Ki Havai Dulari।
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari ॥
Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari Karat।
Sada Shatrun Chhayakari ॥
Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise।
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise ॥
Kartik Shyam Aur Ganara-U Ya Chhavi।
Ko Kahi Jata Na Kauo ॥
Devan Jabahi Jaya Pukara।
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara ॥
Kiya Upadrav Tarak Bhari Devan Sab Mili।
Tumahi Juhari ॥
Turata Shadanana Apa Pathayau।
Lava-Ni-Mesh Mahan Mari Girayau ॥
Apa Jalandhara Asura Sanhara Suyash।
Tumhara Vidit Sansara ॥
Tripurasur Sana Yudha Machayi।
Sabhi Kripakar Lina Bachayi ॥
Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari Purva।
Pratigya Tasu Purari ॥
Danin Mahan Tum Sama Kou Nahin।
Sevak Astuti Karat Sadahin ॥
Veda Nam Mahima Tab Gayaee Akatha।
Anandi Bhed Nahin Payee ॥
Pragate Udadhi Mantan Men Jvala।
Jarat Sura-Sur Bhaye Vihala ॥
Kinha Daya Tahan Kari Sahayee।
Nilakantha Tab Nam Kahayee ॥
Pujan Ramchandra Jab Kinha।
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi ॥
Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari Kinha।
Pariksha Tabahin Purari ॥
Ek Kamal Prabhu Rakheu Joi।
Kushal-Nain Pujan Chaha Soi ॥
Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar।
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var ॥
Jai Jai Jai Anant Avinashi।
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi ॥
Dushta Sakal Nit Mohin Satavai।
Bhramat Rahe Mohin Chain Na Avai ॥
Trahi-Trahi Main Nath Pukaro।
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro ॥
Lai Trishul Shatrun Ko Maro।
Sankat Se Mohin Ana Ubaro ॥
Mata Pita Bhrata Sab Hoi।
Sankat Men Puchhat Nahin Koi ॥
Svami Ek Hai Asha Tumhari।
Ava Harahu Aba Sankat Bhari ॥
Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin।
Jo Koi Janche So Phal Pahin ॥
Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari।
Kshamahu Nath Aba Chuka Hamari ॥
Shankar Ho Sankat Ke Nishan।
Vighna Vinashan Mangal Karan ॥
Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan।
Sharad Narad Shisha Navavain ॥
Namo Namo Jai Namah Shivaya।
Sura Brahmadik Par Na Paya ॥
Jo Yah Patha Karai Man Lai।
Tapar Hota Hai Shambhu Sahayee ॥
Riniyan Jo Koi Ho Adhikari।
Patha Karai So Pavan Hari ॥
Putra-hin Ichchha Kar Koi।
Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi ॥
Pandit Trayodashi Ko Lavai।
Dhyan-Purvak Homa Karavai ॥
Trayodashi Vrat Kare Hamesha।
Tan Nahin Take Rahe Kalesha ॥
Dhupa Dipa Naivedya Charhavai।
Anta Vasa Shivapur Men Pavai ॥
Kahai Ayodhya Asha Tumhari।
Jani Sakal Dukha Harahu Hamari ॥
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꧁༒☬ Doha ☬༒꧂
Nitya Nema kari Pratahi।
Patha karau Chalis ॥
Tum Meri Man Kamana।
Purna Karahu Jagadish ॥
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Recite Shiv Chalisa with this method –
- Wake up early in the morning, take bath and wear clean clothes.
- Keep your face in the east direction and sit on the seat of Kusha.
- In Shiva Puja, keep white sandalwood, rice, Kalava, incense-lamp, flowers, flower garlands and pure sugar candy for offerings.
- Before reciting, light a lamp of cow’s ghee and keep a urn filled with pure water.
- Recite Shiv Chalisa 3, 5, 11 or 40 times.
- Make the recitation of Shiv Chalisa in tone and rhythm.
- Recite Shiv Chalisa with full devotion.
- After the completion of the lesson, sprinkle the water of the Kalash in the whole house.
- Drink some water yourself and distribute sugar candy in the form of prasad.
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What is Shiv chalisa –
Shiv Chalisa Path: Shiv Chalisa is taken from Shiv Purana and the author of Shiv Purana is Maharishi Ved Vyas. This holy book Devvani is written in Sanskrit which has 24 thousand verses. The recitation of Shiv Chalisa is a very effective way to please Mahadev.
According to the belief, the recitation of Shiva Chalisa brings miraculous benefits to the devotees. All their wishes get fulfilled. All the troubles go away. But Shiv Chalisa should be recited according to the law and rule, only then the person gets its real fruit.
There are forty lines in Shiv Chalisa in which Mahadev Shiva, the god of gods, is glorified. It is said that by reciting it for forty times, one gets the blessings of Lord Shiva. But before reciting it, it is very important to follow some special rules. Let us know what are the important things to keep in mind before reciting Shiv Chalisa.
conclusion :-
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FAQ About Shiv Chalisa Lyrics
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